करो या मरो नारा किसने दिया था?
Add as a preferred source on Google

Karo Ya Maro Ka Nara Kisne Diya

गांधीजी ने “करो या मरो” के नारे से भारत के आम लोगों को एकजुट होकर संघर्ष करने के लिए प्रेरित किया। इस नारे का उद्देश्य था वीरता और साहस को प्रोत्साहित करके उन्हें स्वतंत्रता संग्राम में भागीदार बनाना और देश की आजादी के लिए सक्रिय योगदान देना। गांधीजी ने इस नारे के माध्यम से भारतीय जनता को अभियानों, सत्याग्रह, और अनशन जैसे आन्दोलनों में सक्रिय भागीदारी के लिए प्रेरित किया और उन्हें अपने देश के स्वतंत्रता के लिए प्रतिबद्ध किया। गांधीजी के नारे ने भारतीय जनता को आत्मनिर्भरता, विश्वास, और सामर्थ्य का अनुभव कराया और उन्हें एक जुट होकर अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित किया।

इस नारे ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान भारतीय जनता का हृदय जीत लिया था और इसके माध्यम से लोगों का उत्साह बढ़ाकर देश की आजादी की लड़ाई में भागीदारी को बढ़ावा दिया गया था। इस नारे ने वीरता और बलिदान के भाव को प्रतिष्ठान दिया और लोगों को देश के लिए अपने प्राणों की आहुति देने के लिए प्रेरित किया।

महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi)

महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi), भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख नेतृत्व में से एक, एक महान स्वतंत्रता सेनानी, धर्मनिरपेक्षता और अहिंसा के प्रखर प्रचारक थे। उन्हें बापू (Bapu) के नाम से भी पुकारा जाता था, जिसका अर्थ है “पिता”। गांधीजी का जन्म 2 अक्टूबर, 1869 को गुजरात के पोरबंदर नामक गांव में हुआ था।

गांधीजी के विचारधारा का मूल आधार अहिंसा और सत्य के प्रति निष्ठा थी। उन्होंने अपने समर्थकों को सिखाया कि न किसी से हिंसा करें और न किसी को हिंसा के लिए उकसाएं। उनकी अहिंसा की विचारधारा ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में अहम भूमिका निभाई और विश्व भर के लोगों को प्रेरित किया।

गांधीजी का एक महत्वपूर्ण सिद्धांत सत्याग्रह था, जिसका अर्थ होता है “सत्य के प्रति अधिकार की लड़ाई”। उन्होंने सत्याग्रह को एक शक्तिशाली अस्त्र के रूप में प्रयोग किया और भारतीय स्वतंत्रता के लिए इसका विस्तार किया। गांधीजी ने बिना हिंसा के अधिकार के लिए सत्याग्रह किया और अंग्रेजों को अन्याय की खिलवाड़ से घबराया।

गांधीजी का एक और महत्वपूर्ण सिद्धांत स्वदेशी था, जिसका अर्थ होता है “अपने देश का समर्थन करें”। उन्होंने भारतीय उद्योग, कला, और शिक्षा को प्रोत्साहित करने के लिए स्वदेशी आन्दोलन की शुरुआत की। गांधीजी ने भारतीय वस्त्रों का उपयोग करने का प्रचार किया और विदेशी वस्त्रों के बजाय स्वदेशी उत्पादों का समर्थन किया।

गांधीजी के प्रेरणा देने वाले विचार और नियम आज भी हमारे जीवन में महत्वपूर्ण हैं। उनके द्वारा चलाए गए आंदोलनों ने भारतीय जनता को स्वतंत्रता की ओर एकजुट किया और उन्हें अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करने के लिए प्रेरित किया। गांधीजी की धार्मिकता और अहिंसा की विचारधारा ने उन्हें एक अद्भुत व्यक्तित्व बनाया और उनके योगदान को विश्वभर में यादगार बना दिया।

Karo Ya Maro Ka Nara Kisne Diya | करो या मरो नारा किसने दिया था? – FAQ’s

Q1. करो या मरो नारा किसने दिया था?

Ans. गांधीजी ने करो या मरो नारा किसने दिया था

Q2. करो या मरो का नारा कब दिया गया था?

Ans. 8 अगस्त 1942

Leave a comment