UP Ka Sabse Bada Jila
उत्तर प्रदेश (यूपी) भारत का एक प्रमुख राज्य है और इसका सबसे बड़ा जिला कौन है, यह जानना महत्वपूर्ण है। यूपी में कई महत्वपूर्ण और व्यापक जिले हैं, लेकिन उस जिले की चर्चा करते हैं जो क्षेत्रफल के मामले में सबसे बड़ा है। यह जिला उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के पास स्थित है और यूपी की शानदार प्राकृतिक सुंदरता, ऐतिहासिक महत्व और सांस्कृतिक विरासत के साथ प्रसिद्ध है। इस जिले की महत्वपूर्णता यहां के क्षेत्रफल, आबादी, और यहां मौजूद विशेषताओं के कारण बढ़ जाती है।
UP Ka Sabse Bada Jila List
जिला | क्षेत्रफल (वर्ग किलोमीटर में) | प्रमुख विशेषताएं/टिप्पणी |
---|---|---|
लखीमपुर खीरी | 7,680 | नेपाल की सीमा पर स्थित, दुधवा राष्ट्रीय उद्यान |
सोनभद्र | 6,788 | झारखंड, बिहार, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश से घिरा हुआ |
हरदोई | 5,947 | अवधी संस्कृति के लिए प्रसिद्ध |
सीतापुर | 5,743 | नैमिषारण्य तीर्थ स्थल के नाम से भी प्रसिद्ध |
प्रयागराज | 5,482 | मध्य प्रदेश और मिर्जापुर, फतेहपुर, जौनपुर, कौशांबी जिलों से घिरा हुआ है |
1. लखीमपुर खीरी

लखीमपुर खीरी उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा जिला है। इस जिले का क्षेत्रफल 7,680 वर्ग किलोमीटर है, जो इसे उत्तर प्रदेश के सबसे विस्तृत जिले बनाता है। यह जिला उत्तर प्रदेश के पूर्वी क्षेत्र में स्थित है और नेपाल के साथ सीमाबद्ध है। लखीमपुर खीरी जिले के आसपास बहराइच, सीतापुर, पीलीभीत, हरदोई, शाहजहांपुर जैसे अन्य जिलों से घिरा हुआ है।
यह जिला प्राकृतिक सौंदर्य, सांस्कृतिक धरोहर और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। लखीमपुर खीरी जिले में ही “दुधवा नेशनल पार्क” स्थित है, जो भारत के मशहूर राष्ट्रीय उद्यानों में से एक है। यह पार्क अपनी आवासीय जीव-जंतुओं, अन्य प्राकृतिक संपदा और अद्वितीय वन्यजीवों के लिए प्रसिद्ध है। यहां पर्यटकों को अद्वितीय जंगल सफारी, पक्षी दर्शन और प्राकृतिक वातावरण का आनंद लेने का मौका मिलता है।
लखीमपुर खीरी जिला में कई प्रमुख शहर हैं जैसे कि लखीमपुर, कैसरियानी, महराजगंज, निजामाबाद, मिरानपुर, बहराइच, सीतापुर, गोंडा, शाहजहांपुर आदि। यहां पर्यटक ऐतिहासिक स्थलों, मंदिरों, मस्जिदों, गुरुद्वारों और धार्मिक तीर्थस्थलों की यात्रा कर सकते हैं। जैसे कि सितारगंज मंदिर, प्रद्युम्न मार्ग मंदिर, चंडीदेवी मंदिर, निमियार वन्यजीव अभयारण्य, गोंडा किला, निजामाबाद गढ़, लखीमपुर किला आदि।
लखीमपुर खीरी जिला उत्तर प्रदेश के आर्थिक और सामाजिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यहां कृषि, उद्योग, वाणिज्यिक और पशुपालन क्षेत्र में गतिविधियाँ होती हैं, जिनसे जनसंख्या को रोजगार का अवसर प्राप्त होता है। इसके अलावा, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाएं, परिवहन, बिजली, पानी आदि आवश्यक सुविधाएं यहां उपलब्ध हैं और जनसंख्या के साथी विकास में महत्वपूर्ण योगदान देती हैं।
2. सोनभद्र

सोनभद्र जिला उत्तर प्रदेश का दूसरा सबसे बड़ा जिला है और यह भारत का एकमात्र ऐसा जिला है जो चार राज्यों, यानी झारखंड, बिहार, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश, से घिरा हुआ है। सोनभद्र जिले का क्षेत्रफल 6,788 वर्ग किलोमीटर है और इसमें लगभग 20 लाख लोग निवास करते हैं।
सोनभद्र जिला उत्तर प्रदेश की जनसंख्या के मामले में सबसे कम जनसंख्या वाले जिलों में से एक है। यह जिला अपने बड़े उद्योगिक क्षेत्रों के लिए भी प्रसिद्ध है। सोनभद्र जिले में अलुमिनियम उद्योग, तार कारख़ाना, थर्मल पावर प्लांट, सेमेंट कारख़ाना आदि उद्योगिक क्षेत्रों की मौजूदगी है। इसके अलावा, धातुओं, खनिजों, बिजली उत्पादन और प्राकृतिक संसाधनों के क्षेत्र में भी सोनभद्र जिला महत्वपूर्ण योगदान देता है।
सोनभद्र जिला प्राकृतिक सौंदर्य से अद्वितीय है। यहां बेहद आकर्षक पहाड़ी दृश्य, घाटीय क्षेत्र, नदियों, झीलों और वन्य जीव संरक्षण क्षेत्रों की अद्वितीयता है। यहां पर्यटक अपने मनोहारी घूमने के स्थानों का आनंद ले सकते हैं, जैसे कि रेलसीमा घाटी, विंध्याचल पहाड़, बेटवा नदी, जैमानगर वन्यजीव अभयारण्य आदि। सोनभद्र जिला छिन्नमस्तिका, माईहर, शक्तिपीठों, मंदिरों और शिविरों की भूमि भी है, जहां पर्यटक आध्यात्मिक और धार्मिक आत्मसंयम का आनंद ले सकते हैं। सोनभद्र जिला उत्तर प्रदेश की समृद्ध भूगर्भिक संपदा का आधार है।
3. हरदोई

हरदोई जिला, उत्तर प्रदेश का तीसरा सबसे बड़ा जिला है और यह लखनऊ के पास स्थित है। इस जिले का क्षेत्रफल 5,947 वर्ग किलोमीटर है, जिससे यह उत्तर प्रदेश के सबसे विस्तृत जिलों में से एक है। हरदोई जिले की जनसंख्या लगभग 42 लाख है।
हरदोई जिला अपनी अवधी संस्कृति के लिए भी उत्तर प्रदेश में काफी प्रसिद्ध है। यहां पर्यटक अपनी संस्कृतिक और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि का आनंद ले सकते हैं। हरदोई जिले में कई प्रमुख शहर हैं, जैसे कि हरदोई शहर, संजय गांधी नगर, बिलग्राम, बीटुल, संत कबीर नगर और महोबा जैसे।
हरदोई जिला ऐतिहासिक और धार्मिक स्थलों के लिए प्रसिद्ध है। यहां पर्यटक पूर्वी उत्तर प्रदेश की धार्मिक और आध्यात्मिक विरासत के अनुभव का आनंद ले सकते हैं। उदाहरण के लिए, हरदोई शहर में स्थित हनुमान मंदिर, पंचांन गंगा घाट, लोठरी नाथ मंदिर, और संत कबीर नगर में स्थित कबीर मंदिर, ख्वाजा अहमद बाबा दरगाह आदि प्रमुख स्थान हैं।
4. सीतापुर

सीतापुर जिला उत्तर प्रदेश का एक प्रमुख जिला है, जो लखनऊ से सटा हुआ है। इस जिले का क्षेत्रफल 5,743 वर्ग किलोमीटर है, जिससे यह उत्तर प्रदेश के मध्य भाग में स्थित है। सीतापुर जिले में लगभग 48,00,000 लोग निवास करते हैं।
सीतापुर जिला को नैमिषारण्य तीर्थ स्थल के नाम से भी पहचाना जाता है। इसे हिंदू और जैन धर्म के महत्वपूर्ण तीर्थ स्थलों में से एक माना जाता है। नैमिषारण्य में स्थित हजारों वर्ष पुराने वन्य राज्य के अवशेष और प्राचीन मंदिर इस जिले के आध्यात्मिक महत्व को बढ़ाते हैं। प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है चक्रतीर्थ, जहां पर्यटक आध्यात्मिक सन्यासी जीवन का आनंद ले सकते हैं।
सीतापुर जिला अपनी प्राकृतिक सौंदर्यता से भी प्रसिद्ध है। यहां पर्यटक वन्य प्रदेश, घाटीय क्षेत्र, नदियों और जलाशयों का आनंद ले सकते हैं। सीतापुर जिले में स्थित चंडीदेवी वन्यजीव अभयारण्य भी प्रमुख पर्यटन स्थल है, जहां पर्यटक वन्य जीवों के साथ संपर्क करने और उनके निकट देखभाल का आनंद ले सकते हैं।
5. प्रयागराज

प्रयागराज (इलाहाबाद) जिला, उत्तर प्रदेश का पांचवा सबसे बड़ा जिला है। इसे प्रयागराज के नाम से भी जाना जाता है, जो पुराने नाम इलाहाबाद के बदले में दिया गया है। यह जिला उत्तर प्रदेश के मध्य भाग में स्थित है। इस जिले का क्षेत्रफल 5,482 वर्ग किलोमीटर है।
प्रयागराज जिला उत्तर प्रदेश का सबसे अधिक जनसंख्या वाला जिला है। इसमें प्रयागराज शहर को शामिल करते हुए कुल 65 लाख से अधिक लोग निवास करते हैं।
प्रयागराज जिला मध्य प्रदेश और मिर्जापुर, फतेहपुर, जौनपुर, कौशांबी जिलों से घिरा हुआ है। इसके निकट संगम स्थल हैं, जहां यमुना और गंगा नदी मिलती हैं। प्रयागराज कुंभ मेले के लिए भी विख्यात है, जो विश्व के सबसे बड़े धार्मिक मेले में से एक है।
प्रयागराज जिले में श्रद्धेय स्थलों की अनेकता है। यहां पर्यटक अखिल भारतीय श्रद्धा एवं प्राचीनता मेले का आनंद ले सकते हैं। इसमें संतों के मंदिर, माठों, घाटों, अश्रमों, पुराने मंदिरों और मासिक विश्राम स्थलों की अद्वितीयता है।
प्रयागराज जिला भारतीय संविधान के निर्माण के लिए भी महत्वपूर्ण रहा है, क्योंकि यहां पर आदिवासी महासभा ने अपनी बैठकों को आयोजित किया था, जिसमें संविधान के मुख्य तत्व और उद्घोषणा की रचना की गई।
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