Ghoda Ka Paryayvachi Shabd | घोड़ा का पर्यायवाची शब्द
“घोड़ा” हमारे जीवन, साहित्य और पौराणिक कथाओं में शक्ति, गति, और वीरता का प्रतीक रहा है। यह केवल सवारी का साधन नहीं, बल्कि स्वतंत्रता, साहस, और तेज़ी का प्रतिनिधि भी है। घोड़े का महत्व युद्ध, कृषि, यात्रा, और खेलों में सदियों से रहा है। हिंदी साहित्य, शास्त्रीय ग्रंथ, और बोलचाल की भाषा में घोड़े के कई पर्यायवाची शब्द पाए जाते हैं, जो उनके रूप, गुण और संदर्भ के अनुसार भिन्न होते हैं। इस ब्लॉग में हम घोड़े के प्रमुख पर्यायवाची शब्द, उनके अर्थ, समूह और उपयोग को विस्तार से जानेंगे।
घोड़े का अर्थ (Meaning of Ghoda)
घोड़ा एक ऐसा पशु है जो प्राचीन समय से मानव जीवन का अभिन्न हिस्सा रहा है। यह शक्ति, तेज़ी और साहस का प्रतीक है। युद्धों में योद्धाओं की सवारी, यात्राओं में तेज़ गमन और खेलों में गति के लिए घोड़े का उपयोग सदियों से होता रहा है।
साहित्य, कविता और लोककथाओं में घोड़े को वीरता, ऊर्जा और आत्मनिर्भरता का प्रतीक माना जाता है। हिंदी में इसके कई नाम हैं जो विभिन्न संदर्भों में प्रयुक्त होते हैं। शास्त्रीय रूप में इसे अश्व कहा जाता है, जबकि बोलचाल में इसे घोड़ा या सवारी के रूप में जाना जाता है।
घोड़े के पर्यायवाची शब्द
नीचे घोड़े के प्रमुख पर्यायवाची शब्दों की सूची दी गई है। इनमें शास्त्रीय, युद्ध, तेज़ी और बोलचाल के शब्द शामिल हैं।
| पर्यायवाची शब्द | English Transliteration | अर्थ / व्याख्या |
| अश्व | Ashv | शास्त्रीय और संस्कृत में घोड़ा |
| रविसुत | Ravisut | सूर्य का पुत्र, तेज़ और बलशाली घोड़ा |
| रविपुत्र | Raviputr | सूर्य के पुत्र के रूप में घोड़ा |
| बाजि | Baaji | युद्ध और दौड़ में प्रयुक्त घोड़ा |
| बाज़ी | Baajee | बाज़ी मारने वाला, वीर और तेज़ घोड़ा |
| सैंधव | Saindhav | तेज़ गति वाला घोड़ा |
| सर्ता | Sarta | सजग और चालाक घोड़ा |
| घोटक | Ghotak | युद्ध में प्रयुक्त घोड़ा |
| घोट | Ghot | सामान्य और ग्रामीण परिवेश में प्रयुक्त घोड़ा |
| तुरंग | Turang | युद्ध और युद्ध कला में प्रयुक्त घोड़ा |
| हय | Hay | शास्त्रीय और प्राचीन नाम घोड़े के लिए |
| दधिका | Dadhika | विशेष प्रकार का घोड़ा, प्राचीन संदर्भ में |
| लिबलिबी | Libalibee | हल्की चाल और गति वाला घोड़ा |
घोड़े के पर्यायवाची शब्दों का समूह और अर्थ
घोड़े के पर्यायवाची शब्द केवल शब्दकोश तक सीमित नहीं हैं, बल्कि ये साहित्य, पौराणिक कथाएँ, और दैनिक बोलचाल में व्यापक रूप से उपयोग किए जाते हैं। विभिन्न संदर्भों और गुणों के अनुसार घोड़ों के लिए अलग-अलग शब्द प्रचलित हैं, जो उनकी शक्ति, तेज़ी, वीरता, सजगता या सामान्य उपयोग को दर्शाते हैं। इन शब्दों को समूहों में बाँटना हमें न केवल भाषा की समृद्धि समझने में मदद करता है, बल्कि घोड़ों के विभिन्न प्रकार और उनके विशेष गुणों को जानने में भी सहायक होता है।
1. शास्त्रीय/पुरातन समूह
- अश्व, हय, रविसुत, रविपुत्र
ये शब्द मुख्यतः शास्त्रीय और संस्कृत ग्रंथों में पाए जाते हैं। वीरता, शक्ति और सूर्य से जुड़े प्रतीक के रूप में प्रयोग होते हैं।
उदाहरण:
- “अश्व पर सवार राजा युद्धभूमि में वीरता दिखाता है।”
- “रविसुत घोड़ा सूर्योदय के समय तेज़ी से दौड़ा।”
2. युद्ध और शक्ति समूह
- घोटक, तुरंग, बाजि, बाज़ी
ये शब्द युद्ध, रणभूमि, और शौर्य से जुड़े घोड़ों के लिए प्रयोग होते हैं।
उदाहरण:
- “तुरंग पर सवार सैनिक ने युद्ध में अपनी रणनीति बनाई।”
- “बाजी घोड़ा युद्ध में विजयी हुआ।”
3. गति और तेज़ी समूह
- सैंधव, सर्ता, लिबलिबी
इन शब्दों का प्रयोग तेज़ गति, सजगता और हल्की चाल वाले घोड़ों के लिए किया जाता है।
उदाहरण:
- “सैंधव घोड़ा दौड़ में सबसे आगे रहा।”
- “सर्ता की चाल देखकर दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए।”
4. सामान्य और बोलचाल समूह
- घोट, घोटक, दधिका, घोड़ा
ये शब्द आम बोलचाल में या ग्रामीण परिवेश में प्रयुक्त होते हैं।
उदाहरण:
- “गाँव में घोट घोड़े का उपयोग दौड़ और खेलों में होता है।”
- “आज दधिका घोड़ा खेतों में काम के लिए तैयार किया गया।”
घोड़े के पर्यायवाची शब्दों का प्रयोग
घोड़े के पर्यायवाची शब्द केवल शब्दकोश में सीमित नहीं हैं। साहित्य, कविता, लोककथाओं और दैनिक बोलचाल में इनका प्रयोग व्यापक है।
साहित्य और कविता में:
- “अश्व की गति ने वीर योद्धाओं को युद्धभूमि में आगे बढ़ाया।”
- “रविसुत घोड़ा सूर्य की किरणों में चमक रहा था।”
पौराणिक और धार्मिक संदर्भ में:
- “रविपुत्र घोड़ा देवताओं के साथ यात्रा करता है।”
- “तुरंग पर सवार नायक ने धर्म की रक्षा की।”
दैनिक जीवन में:
- “गाँव में सैंधव घोड़े का उपयोग खेलों और दौड़ में होता है।”
- “लिबलिबी घोड़ा बच्चों की सवारी के लिए उपयुक्त है।”
घोड़ा और गति के अन्य संदर्भ
घोड़ा केवल एक पशु नहीं है, बल्कि यह शक्ति, गति, और साहस का प्रतीक भी है। इसके पर्यायवाची शब्द भाषा की समृद्धि और विविधता को दर्शाते हैं।
- अश्व – शास्त्रीय और वीरता का प्रतीक।
- तुरंग – युद्ध और शक्ति का प्रतीक।
- सैंधव – गति और तेज़ी का प्रतीक।
- रविसुत/रविपुत्र – सूर्य और तेज़ी से जुड़ा प्रतीक।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
प्रश्न 1: “घोड़ा” का सामान्य अर्थ क्या है?
उत्तर: तेज़ गति और शक्ति वाला सवारी या पशु।
प्रश्न 2: घोड़े के प्रमुख पर्यायवाची शब्द कौन से हैं?
उत्तर: अश्व, रविसुत, रविपुत्र, बाजि, सैंधव, तुरंग, हय, दधिका, सर्ता आदि।
प्रश्न 3: “तुरंग” और “अश्व” में अंतर क्या है?
उत्तर: अश्व सामान्य और शास्त्रीय नाम है, जबकि तुरंग युद्ध और वीरता से जुड़ा घोड़ा है।
प्रश्न 4: घोड़े के पर्यायवाची शब्द साहित्य में कैसे प्रयुक्त होते हैं?
उत्तर: शक्ति, वीरता, गति और साहस का प्रतीक बताने के लिए।
प्रश्न 5: लिबलिबी और सैंधव में क्या अंतर है?
उत्तर: लिबलिबी हल्की चाल और छोटे कार्यों के लिए, जबकि सैंधव तेज़ दौड़ और सजग घोड़े के लिए प्रयोग होता है
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