JAIIB पाठ्यक्रम 2026, IE & IFS, AFM, PPB, RBWM, विवरण देखें
JAIIB परीक्षा, जिसे इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ बैंकिंग एंड फाइनेंस (IIBF) आयोजित करता है, बैंकिंग और फाइनेंस पेशेवरों के ज्ञान और कौशल को बढ़ाने में मदद करती है। यह परीक्षा बैंकिंग क्षेत्र से जुड़े महत्वपूर्ण विषयों को कवर करती है, जैसे कि अर्थव्यवस्था में वित्त की भूमिका, बैंकिंग ऑपरेशन्स, अकाउंटिंग, वित्तीय प्रबंधन, रिटेल बैंकिंग, वेल्थ मैनेजमेंट, डिजिटल बैंकिंग, बैंकिंग टेक्नोलॉजी और कस्टमर सर्विस।
यह विशेष रूप से बैंकिंग और बीमा पेशेवरों के लिए डिज़ाइन की गई है ताकि वे रोज़मर्रा के कार्यों को बेहतर तरीके से संभाल सकें और वित्तीय क्षेत्र की गहरी समझ प्राप्त कर सकें।
JAIIB परीक्षा में कुल चार मुख्य विषय शामिल हैं:
- इंडियन इकॉनमी और इंडियन फाइनेंशियल सिस्टम
- प्रिंसिपल्स एंड प्रैक्टिसेज़ ऑफ़ बैंकिंग
- अकाउंटिंग और फाइनेंशियल मैनेजमेंट फॉर बैंकर्स
- रिटेल बैंकिंग और वेल्थ मैनेजमेंट
इस ब्लॉग में हमने हर विषय का विस्तृत सिलेबस, परीक्षा संरचना और तैयारी के लिए अन्य महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की है ताकि उम्मीदवार स्मार्ट और प्रभावी तरीके से तैयारी कर सकें।
JAIIB सिलेबस 2026
JAIIB सिलेबस विशेष रूप से उन बैंकिंग और फाइनेंस पेशेवरों के लिए तैयार किया गया है, जो JAIIB परीक्षा में शामिल होना चाहते हैं। यह परीक्षा केवल उन उम्मीदवारों के लिए है जो वर्तमान में बैंकों या वित्तीय संस्थानों में कार्यरत हैं और आम जनता के लिए उपलब्ध नहीं है। बेहतर प्रदर्शन के लिए, उम्मीदवारों को आधिकारिक JAIIB सिलेबस में सूचीबद्ध सभी विषयों का गहन अध्ययन और पूरी तरह से समीक्षा करनी चाहिए।
JAIIB 2026 में कितने पेपर हैं?
JAIIB परीक्षा में कुल 4 अनिवार्य पेपर होते हैं – IE & IFS, PPB, AFM और RBWM (पिछले परीक्षा सत्र के अनुसार)। चारों पेपरों का विवरण इस प्रकार है:
- इंडियन इकॉनमी और इंडियन फाइनेंशियल सिस्टम (IE & IFS)
- प्रिंसिपल्स एंड प्रैक्टिसेज़ ऑफ़ बैंकिंग (PPB)
- अकाउंटिंग और फाइनेंशियल मैनेजमेंट फॉर बैंकर्स (AFM)
- रिटेल बैंकिंग और वेल्थ मैनेजमेंट (RBWM)
JAIIB सिलेबस 2026
हर पेपर को चार मॉड्यूल में विभाजित किया गया है। पिछले सत्र के अनुसार सिलेबस इस प्रकार है:
| पेपर | मॉड्यूल और विषय |
| इंडियन इकॉनमी और इंडियन फाइनेंशियल सिस्टम (IE & IFS) | Module A: भारतीय आर्थिक संरचना Module B: बैंकिंग से जुड़े आर्थिक सिद्धांत Module C: भारतीय वित्तीय संरचना Module D: वित्तीय उत्पाद और सेवाएँ |
| प्रिंसिपल्स एंड प्रैक्टिसेज़ ऑफ़ बैंकिंग (PPB) | Module A: सामान्य बैंकिंग ऑपरेशन्स Module B: बैंक के कार्य Module C: बैंकिंग टेक्नोलॉजी Module D: बैंक और वित्तीय संस्थानों में नैतिकता |
| अकाउंटिंग और फाइनेंशियल मैनेजमेंट फॉर बैंकर्स (AFM) | Module A: अकाउंटिंग सिद्धांत और प्रक्रियाएँ Module B: वित्तीय विवरण और कोर बैंकिंग सिस्टम Module C: वित्तीय प्रबंधन Module D: कराधान और लागत का मूलभूत ज्ञान |
| रिटेल बैंकिंग और वेल्थ मैनेजमेंट (RBWM) | Module A: रिटेल बैंकिंग का परिचय Module B: रिटेल उत्पाद और रिकवरी Module C: सहायक सेवाएँ – बैंकिंग उत्पादों/सेवाओं का मार्केटिंग Module D: वेल्थ मैनेजमेंट |
JAIIB परीक्षा का पैटर्न 2026
JAIIB परीक्षा ऑनलाइन मोड (CBT) में आयोजित की जाती है, जिसमें प्रत्येक पेपर में 100 प्रश्न होते हैं और कुल 100 अंक निर्धारित किए जाते हैं। उम्मीदवारों को प्रत्येक पेपर पूरा करने के लिए 2 घंटे का समय मिलता है। इस परीक्षा में नेगेटिव मार्किंग लागू नहीं होती, जिससे अभ्यर्थी निःसंकोच सभी प्रश्नों का प्रयास कर सकते हैं। प्रश्नपत्र में केस-बेस्ड प्रश्नों के साथ-साथ न्यूमेरिकल इनपुट टाइप के प्रश्न भी शामिल होते हैं, जो उम्मीदवार की अवधारणात्मक समझ और व्यावहारिक विश्लेषण क्षमता का मूल्यांकन करते हैं।
| फीचर | विवरण |
| कुल प्रश्न | 100 MCQs प्रति पेपर |
| कुल अंक | 100 प्रति पेपर |
| केस-बेस्ड प्रश्न | सभी विषयों में शामिल |
| न्यूमेरिकल इनपुट प्रश्न | AFM जैसे पेपर्स में मौजूद |
| परीक्षा मोड | ऑनलाइन (CBT) |
| नेगेटिव मार्किंग | नहीं |
| मूल्यांकन क्षेत्र | बुनियादी ज्ञान, एप्लीकेशन स्किल्स, केस हैंडलिंग, न्यूमेरिकल एप्टीट्यूड |
पेपर-वार IIBF JAIIB 2026 परीक्षा तिथियाँ क्या हैं?
JAIIB परीक्षा हर साल दो बार आयोजित की जाती है, एक बार मई में और एक बार नवम्बर में। भारतीय बैंकिंग एवं वित्त संस्थान (IIBF) जल्द ही चार अनिवार्य पेपरों के लिए JAIIB 2026 परीक्षा तिथियाँ अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर जारी करेगा।
| पेपर | मई सत्र परीक्षा तिथि | नवम्बर सत्र परीक्षा तिथि |
| भारतीय अर्थव्यवस्था और भारतीय वित्तीय प्रणाली | TBA | TBA |
| बैंकिंग के सिद्धांत और प्रथाएँ | TBA | TBA |
| बैंकिंग के लिए लेखांकन और वित्त प्रबंधन | TBA | TBA |
| रिटेल बैंकिंग और वेल्थ मैनेजमेंट | TBA | TBA |
JAIIB IE & IFS पाठ्यक्रम
JAIIB (जूनियर एसोसिएट ऑफ इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ बैंकर्स) के भारतीय अर्थव्यवस्था और भारतीय वित्तीय प्रणाली (IE & IFS) पाठ्यक्रम में चार मॉड्यूल शामिल हैं: भारतीय आर्थिक वास्तुकला, बैंकिंग से संबंधित आर्थिक अवधारणाएँ, भारतीय वित्तीय वास्तुकला, और वित्तीय उत्पाद एवं सेवाएँ।
मॉड्यूल A: भारतीय आर्थिक वास्तुकला (Indian Economic Architecture)
मॉड्यूल A के विस्तृत विषय इस प्रकार हैं:
| खंड | विषय |
| 1. भारतीय अर्थव्यवस्था का अवलोकन | – भारतीय अर्थव्यवस्था का विकास |
| – बुनियादी विशेषताएँ | |
| – ब्रिटिश-पूर्व अर्थव्यवस्था | |
| – 2008 तक और 2008 के बाद की अर्थव्यवस्था | |
| – संरचनात्मक परिवर्तन | |
| 2. भारत में आर्थिक योजना | – परिभाषा, इतिहास, उद्देश्य |
| – नियोजन के प्रकार | |
| – उपलब्धियाँ | |
| – 5-वर्षीय योजनाओं के लिए वित्तीय संसाधन | |
| 3. भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्र | – प्राथमिक, द्वितीयक, तृतीयक, चतुर्थक और पंचक क्षेत्र |
| – विभिन्न क्रांतियाँ (हरित, श्वेत, आदि) | |
| – क्षेत्र अंतर और सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में योगदान | |
| – कृषि, उद्योग, सेवाएँ | |
| – द्वितीयक क्षेत्र में रोज़गार | |
| – सनराइज सेक्टर | |
| – संगठित और असंगठित क्षेत्र | |
| 4. प्राथमिकता क्षेत्र और MSMEs | – प्राथमिकता क्षेत्र की परिभाषा और भूमिका |
| – पहचाने गए प्राथमिकता क्षेत्र | |
| – प्राथमिकता क्षेत्र ऋण मानदंड | |
| – MSME: परिभाषा, भूमिका और सकल घरेलू उत्पाद में योगदान | |
| – पहल: आत्मनिर्भर भारत, मेक इन इंडिया, स्टार्ट-अप इंडिया, स्टैंड-अप इंडिया | |
| 5. आधारभूत संरचना और सामाजिक आधारभूत संरचना | – आर्थिक विकास में भूमिका |
| – ऊर्जा, बिजली, परिवहन (रेल, सड़क, विमानन) | |
| – सामाजिक क्षेत्र: स्वास्थ्य, शिक्षा, परिवार कल्याण | |
| – स्वास्थ्य आधारभूत संरचना का विकास | |
| 6. वैश्वीकरण – भारत पर प्रभाव | – वैश्वीकरण की वकालत |
| – भारत पर प्रभाव | |
| – निष्पक्ष वैश्वीकरण और नीतिगत आवश्यकताएँ | |
| – रिवर्स वैश्वीकरण और संरक्षणवाद | |
| 7. आर्थिक सुधार | – सुधारों का अवलोकन |
| – परिवर्तन (वास्तविक क्षेत्र, वित्तीय क्षेत्र) | |
| – वैश्विक एकीकरण | |
| – भारतीय आर्थिक सुधार | |
| 8. विदेश व्यापार नीति (FTP), FDI और FII | – 1990 के दशक की विदेश व्यापार नीति (FTP) में संरचनात्मक परिवर्तन |
| – विदेश व्यापार नीति 2015–2020 | |
| – आगामी विदेश व्यापार नीति के लिए चुनौतियाँ | |
| – FDI और FII – रुझान | |
| – आर्थिक विकास बनाम आर्थिक प्रगति (Development) | |
| 9. अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक संगठन | – IMF, विश्व बैंक, WTO (भारत की भूमिका) |
| – क्षेत्रीय आर्थिक सहयोग | |
| – हाल के मुद्दे | |
| 10. जलवायु परिवर्तन और SDGs | – सतत विकास के मूल तत्व |
| – वैश्विक मुद्दे और पहल | |
| – भारत की प्रगति | |
| – CSR और जलवायु कार्रवाई | |
| 11. भारतीय अर्थव्यवस्था में प्रमुख मुद्दे | – गरीबी उन्मूलन |
| – रोज़गार रहित विकास (Jobless Growth) | |
| – बढ़ती असमानता | |
| – प्रवासन और संसाधन दबाव | |
| – उपाय | |
| – महामारी की चुनौतियाँ |
मॉड्यूल B: बैंकिंग से संबंधित आर्थिक अवधारणाएँ (Economic Concepts Related to Banking)
मॉड्यूल B के विस्तृत विषय इस प्रकार हैं:
| खंड | विषय |
| 1. अर्थशास्त्र के मूल सिद्धांत | – सूक्ष्मअर्थशास्त्र (Microeconomics) और वृहत्अर्थशास्त्र (Macroeconomics) |
| – बाज़ार (Market), कमांड (Command) और मिश्रित अर्थव्यवस्थाएँ (Mixed Economies) | |
| 2. आपूर्ति और मांग | – मांग अनुसूची और बदलाव |
| – आपूर्ति अनुसूची और बदलाव | |
| – संतुलन (Equilibrium): कीमत और मात्रा में परिवर्तन | |
| 3. मुद्रा आपूर्ति और मुद्रास्फीति | – मुद्रा क्या है? |
| – मुद्रा आपूर्ति के माप | |
| – मुद्रास्फीति – कारण और माप | |
| 4. ब्याज के सिद्धांत | – शास्त्रीय सिद्धांत (Classical Theory) |
| – कीन्स का तरलता अधिमान सिद्धांत (Keynes’ Liquidity Preference Theory) | |
| – मुद्रा मांग वक्र | |
| – ब्याज दर का निर्धारण | |
| – मुद्रा आपूर्ति में बदलाव का प्रभाव | |
| – IS–LM वक्र मॉडल | |
| 5. व्यापार चक्र | – विशेषताएँ |
| – चरण | |
| 6. मौद्रिक और राजकोषीय नीति | – मौद्रिक नीति के उपकरण |
| – वैश्विक वित्तीय संकट पर भारत की प्रतिक्रिया | |
| – राजकोषीय नीति और FRBM अधिनियम | |
| 7. राष्ट्रीय आय और सकल घरेलू उत्पाद (GDP) | – अवधारणाएँ और गणना |
| – उपयोगिता | |
| 8. केंद्रीय बजट | – प्राप्तियाँ और व्यय |
| – योजना व्यय | |
| – घाटे की अवधारणाएँ |
मॉड्यूल C: भारतीय वित्तीय वास्तुकला (Indian Financial Architecture)
मॉड्यूल C के विस्तृत विषय इस प्रकार हैं:
| खंड | विषय |
| 1. भारतीय वित्तीय प्रणाली – अवलोकन | – परिभाषा और चरण (1951 से पहले, 1951–80 के दशक, 90 के दशक के बाद) |
| – नरसिम्हम समिति 1991 | |
| – सुधार (1992–2008) | |
| – वर्तमान स्थिति | |
| 2. भारतीय बैंकिंग संरचना | – विकास और कार्य |
| – अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक – प्रकार और कार्य | |
| – स्थानीय क्षेत्र बैंक (Local Area Banks) | |
| – RRBs | |
| – सहकारी बैंक | |
| – भुगतान बैंक (Payment Banks) और लघु वित्त बैंक (Small Finance Banks) | |
| – NBFCs और RBI दिशानिर्देश | |
| 3. प्रमुख बैंकिंग कानून | – RBI अधिनियम, 1934 (अध्याय I–V, अनुसूचियाँ) |
| – बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 (धारा 1–56) | |
| 4. विकास वित्तीय संस्थान (DFIs) | – विकास और उद्देश्य |
| – स्वतंत्रता के बाद के अंतराल | |
| – वर्गीकरण और भूमिका | |
| – बदलती भूमिका और यूनिवर्सल बैंक | |
| – संस्थान: IFCI, ICICI, IDBI, SIDBI, EXIM, NABARD, NHB, NaBFID | |
| 5. सूक्ष्म वित्त संस्थान (MFIs) | – विकास, ग्रामीण मॉडल (Grameen Model) |
| – SHG-बैंक लिंकेज, JLG | |
| – नियामक ढाँचा और RBI दिशा-निर्देश 2022 | |
| – उचित व्यवहार संहिता (Fair Practices Code) | |
| 6. गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ (NBFCs) | – समावेशी विकास में विकास और भूमिका |
| – नियामक, वर्गीकरण, RBI निगरानी | |
| – प्रकार, स्वामित्व वाले फंड और शुद्ध स्वामित्व वाले फंड (Net Owned Funds) | |
| – बैंक वित्त, उचित व्यवहार संहिता | |
| – लोकपाल योजना, स्केल आधारित विनियमन (SBR) | |
| 7. बीमा कंपनियाँ | – इतिहास, निजीकरण और FDI |
| – वैश्विक और भारतीय बीमा | |
| – पैठ और घनत्व (Penetration & Density) | |
| – खिलाड़ियों की संख्या | |
| – कानून, मध्यस्थ, पुनर्बीमा (Reinsurance) | |
| – बीमा भंडार/खाते (Insurance Repository/Accounts) | |
| 8. भारतीय वित्तीय प्रणाली के नियामक | – RBI, SEBI, IRDAI, PFRDA – भूमिकाएँ |
| 9. सुधार और विकास | – बैड बैंक |
| – आधारभूत संरचना वित्तपोषण (Infrastructure Financing) | |
| – NaBFID | |
| – EASE सुधार |
मॉड्यूल D वित्तीय उत्पाद और सेवाएँ (Financial Products & Services)
मॉड्यूल D के विस्तृत विषय इस प्रकार हैं:
| खंड | विषय |
| 1. वित्तीय बाजारों का अवलोकन | – अर्थ, विकास |
| – खंड और कार्य | |
| – कीमत की खोज (Price Discovery) | |
| 2. मुद्रा और पूंजी बाजार | – कॉल/नोटिस/टर्म मनी |
| – T-Bills, CDs, CPs | |
| – रेपो, ट्राई-रेपो, BRDS, LTRO | |
| 3. ऋण/निश्चित आय बाजार | – सरकारी प्रतिभूतियाँ, बॉन्ड मूल्यांकन |
| – नीलामी, प्राथमिक डीलर | |
| – FIMMDA, RBI रिटेल डायरेक्ट स्कीम | |
| – कॉर्पोरेट बॉन्ड, इंटर-कॉर्पोरेट जमा | |
| 4. पूंजी बाजार और स्टॉक एक्सचेंज | – प्राथमिक और द्वितीयक बाजार |
| – SEBI विनियम | |
| – पूंजीगत मुद्दे और पात्रता मानदंड | |
| – मध्यस्थ, ASBA, QIP | |
| 5. विदेशी मुद्रा बाजार (Forex) | – भारत में प्रोफ़ाइल और विकास |
| – विशेषताएँ और प्रतिभागी | |
| – LIBOR और ARRs | |
| – FEDAI, FEMA 1999 | |
| – FX-रिटेल प्लेटफॉर्म, USDX, ADR, GDR | |
| 6. बाजार अंतर-संबंध (Interconnection) | – कारण, महत्व और स्तर |
| – भारत में एकीकरण | |
| – एशियन क्लियरिंग यूनियन | |
| – अंतर-संबंध (मुद्रा, ऋण, पूंजी, विदेशी मुद्रा) | |
| – एकीकृत ट्रेजरी और संक्रामकता प्रभाव (Contagion Effect) | |
| 7. मर्चेंट बैंकिंग सेवाएँ | – अर्थ और इतिहास |
| – भारत में विकास | |
| – मर्चेंट बनाम वाणिज्यिक बैंकिंग | |
| – SEBI विनियम और आचार संहिता | |
| 8. डेरिवेटिव बाजार (CDS सहित) | – अर्थ, इतिहास, आकार |
| – एक्सचेंज ट्रेडेड बनाम OTC | |
| – फॉरवर्ड, वायदा (Futures), विकल्प (Options), स्वैप, CDS | |
| – RBI दिशानिर्देश, ISDA समझौता | |
| 9. फैक्टरिंग, फोरफिटिंग और TReDS | – फैक्टरिंग – प्रकार, घरेलू/अंतर्राष्ट्रीय, फायदे/नुकसान |
| – फोरफिटिंग – तंत्र, फायदे/नुकसान | |
| – TReDS – प्रतिभागी, प्रक्रिया, पात्रता | |
| 10. वेंचर कैपिटल | – अवधारणा, विकास, चरण |
| – प्रक्रिया, नियामक पहलू | |
| – मोड, फायदे/नुकसान, एग्जिट रूट | |
| 11. लीजिंग और हायर परचेज | – लीजिंग – प्रकार, फायदे/नुकसान, बाजार हिस्सेदारी, कानूनी/नियामक पहलू |
| – हायर परचेज – विकास, कानूनी पहलू, पक्ष | |
| – लीजिंग बनाम हायर परचेज | |
| 12. क्रेडिट रेटिंग एजेंसियाँ (CRAs) | – अर्थ, इतिहास, महत्व |
| – लाभ, कारक, प्रक्रिया | |
| – प्रतीक, आउटलुक | |
| – SEBI विनियम, शुल्क | |
| – क्रेडिट स्कोरिंग, CICs, क्रेडिट रेटिंग बनाम क्रेडिट स्कोर | |
| 13. म्यूचुअल फंड | – अर्थ, विकास, प्रकार |
| – कार्य, प्रबंधन, भूमिका | |
| – NFO, जोखिम, जोखिममापी (Riskometer), NAV | |
| – व्यय अनुपात, लोड/नो-लोड | |
| – रणनीतियाँ, पूंजी बाजार में भूमिका | |
| – वैकल्पिक निवेश फंड (AIFs) | |
| 14. बीमा उत्पाद | – अर्थ, सिद्धांत, वर्गीकरण |
| – प्रकार, समूह और सूक्ष्म बीमा | |
| – सामाजिक सुरक्षा योजनाएँ, बैंकएश्योरेंस (Bancassurance) | |
| – लोकपाल योजना, सरकारी योजनाएँ (PMJJBY, PMSBY) | |
| 15. पेंशन फंड | – पेंशन प्रणाली और उत्पाद |
| – EPF, PPF, वार्षिकी (Annuities) | |
| – NPS और APY | |
| 16. पैरा-बैंकिंग और बैंकों द्वारा वित्तीय सेवाएँ | – प्रकार और संगठन |
| – गतिविधियाँ | |
| – कमीशन/पारिश्रमिक प्रकटीकरण | |
| 17. REITs और InvITs | – REITs – अर्थ, इतिहास, संगठन, प्रकार, फायदे/नुकसान, कराधान |
| – InvITs – अर्थ, तर्क, प्रकार, राजस्व मॉडल, फायदे/नुकसान, कराधान |
JAIIB PPB पाठ्यक्रम
यह पेपर बैंकिंग के सिद्धांतों और व्यवहार को बताता है। इसे चार मॉड्यूल में विभाजित किया गया है: सामान्य बैंकिंग परिचालन, बैंकों के कार्य, बैंकिंग प्रौद्योगिकी, और बैंकों तथा वित्तीय संस्थानों में नैतिकता।
मॉड्यूल A – सामान्य बैंकिंग परिचालन (General Banking Operations)
मॉड्यूल A के विस्तृत विषय इस प्रकार हैं:
| मुख्य विषय | उप-विषय |
| बैंकर-ग्राहक संबंध | – बैंक कहलाने की आवश्यकताएँ |
| – अधिकार और दायित्व | |
| – ट्रस्टी के रूप में बैंकर | |
| – बेली–बेलोर | |
| – एजेंट–प्रिंसिपल | |
| – लेसर–लेसी | |
| – क्षतिपूर्तिकर्ता–क्षतिपूर्ति प्राप्तकर्ता (Indemnifier–Indemnified) | |
| जमा उत्पाद और सेवाएँ | – जमा के प्रकार |
| – ग्राहकों को सेवाएँ | |
| – निवेशकों को सेवाएँ | |
| AML और KYC दिशानिर्देश | – मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद के वित्तपोषण के जोखिम |
| – भारत में AML ढाँचा | |
| – KYC नीति | |
| – AML के लिए संगठनात्मक सेटअप | |
| – PMLA के तहत दायित्व |
मॉड्यूल B – बैंकों के कार्य (Functions of Banks)
मॉड्यूल B के विस्तृत विषय इस प्रकार हैं:
| मुख्य विषय | उप-विषय |
| खुदरा बैंकिंग (Retail Banking) | – विशेषताएँ |
| – उत्पाद | |
| – प्रौद्योगिकी | |
| – जोखिम | |
| थोक बैंकिंग (Wholesale Banking) | – विशेषताएँ |
| – उत्पाद | |
| – हाल के रुझान | |
| ट्रेजरी प्रबंधन | – कार्य |
| – उद्देश्य | |
| – जोखिम | |
| – मुख्य पहलू | |
| अंतर्राष्ट्रीय बैंकिंग | – विनिमय दरें (Exchange Rates) |
| – FEMA दिशानिर्देश | |
| – NRI जमा | |
| – प्रेषण (Remittances) | |
| गैर-निधि आधारित सुविधाएँ | – साख पत्र (Letters of Credit – LCs) |
| – बैंक गारंटी | |
| – प्रकार और अनुप्रयोग |
यह भी देखें: JAIIB करने के फायदे
मॉड्यूल C – बैंकिंग प्रौद्योगिकी (Banking Technology)
मॉड्यूल C के विस्तृत विषय इस प्रकार हैं:
| मुख्य विषय | उप-विषय |
| इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग | – कोर बैंकिंग समाधान (Core Banking Solutions) |
| – डिजिटल बैंकिंग चैनल | |
| – फिनटेक अनुप्रयोग | |
| – भुगतान प्रणाली (UPI, IMPS, NEFT, RTGS, कार्ड, वॉलेट) | |
| IT सुरक्षा | – साइबर सुरक्षा जोखिम |
| – बैंकिंग धोखाधड़ी | |
| – निवारक उपाय | |
| – IT शासन (IT Governance) | |
| – RBI दिशानिर्देश | |
| उभरती प्रौद्योगिकियाँ | – आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) |
| – ब्लॉकचेन | |
| – रेगटेक (RegTech) | |
| – सुपटेक (SupTech) | |
| – ओपन बैंकिंग | |
| – CBDC | |
| – डिजिटल पहचान (Digital Identity) | |
| – APIs | |
| – क्लाउड कंप्यूटिंग |
मॉड्यूल D – बैंकिंग और वित्तीय संस्थानों में नैतिकता (Ethics in Banking & Financial Institutions)
मॉड्यूल D के विस्तृत विषय इस प्रकार हैं:
| मुख्य विषय | उप-विषय |
| व्यावसायिक नैतिकता (Business Ethics) | – परिभाषा |
| – सिद्धांत | |
| – नैतिक सिद्धांत | |
| – बैंकिंग में नैतिक दुविधाएँ | |
| कार्यस्थल नैतिकता (Workplace Ethics) | – कर्मचारी दायित्व |
| – कॉर्पोरेट प्रशासन | |
| – आचार संहिता | |
| – व्हिसलब्लोइंग | |
| बैंकिंग और ग्राहक नैतिकता | – ज़िम्मेदार बैंकिंग |
| – ग्राहकों के साथ उचित व्यवहार | |
| – नैतिक बिक्री प्रथाएँ | |
| बैंकों में कॉर्पोरेट प्रशासन | – महत्व |
| – RBI दिशानिर्देश | |
| – निदेशक मंडल की भूमिका | |
| – SEBI विनियम | |
| – कॉर्पोरेट सामाजिक ज़िम्मेदारी (CSR) |
JAIIB AFM पाठ्यक्रम
JAIIB का AFM पाठ्यक्रम चार खंडों में विभाजित है: लेखांकन सिद्धांत और प्रक्रियाएँ, वित्तीय विवरण और कोर बैंकिंग प्रणाली, वित्तीय प्रबंधन, और कराधान तथा लागत निर्धारण के मूल सिद्धांत।
मॉड्यूल A – लेखांकन सिद्धांत और प्रक्रियाएँ (Accounting Principles & Processes)
मॉड्यूल A के विस्तृत विषय इस प्रकार हैं:
| मुख्य विषय | उप-विषय |
| लेखांकन मानक और सिद्धांत | – परिभाषा, दायरा, Ind AS |
| – ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य | |
| – मूल्य प्रणाली लेखांकन | |
| – सिद्धांतों की उत्पत्ति | |
| – US GAAP, IFRS | |
| – GAAP और IFRS के बीच अंतर | |
| – ट्रांसफर प्राइसिंग | |
| बुनियादी लेखांकन प्रक्रियाएँ | – अवधारणाएँ: चालू चिंता (Going Concern), दोहरी प्रविष्टि (Double Entry), रूढ़िवादिता (Conservatism), राजस्व मान्यता (Revenue Recognition), उपार्जन बनाम नकद आधार |
| – रोकड़/सहायक पुस्तकें | |
| – लेजर, जर्नल बनाना | |
| बैंक समाधान विवरण | – रोकड़ बही बनाम पासबुक |
| – अंतर के कारण | |
| – समाधान विवरण तैयार करना | |
| – रोकड़ बही का समायोजन | |
| – फायदे | |
| तलपट और त्रुटियाँ | – तैयारी |
| – प्रकार | |
| – उद्देश्य | |
| – त्रुटियाँ (वर्गीकरण, स्थान, सुधार) | |
| – सस्पेंस खाता | |
| – समायोजन और समापन प्रविष्टियाँ | |
| मूल्यह्रास और परिशोधन | – अर्थ, कारण, आवश्यकता, कारक |
| – तरीके: SLM, WDV, उत्पादन की इकाइयाँ, SYD | |
| – परिसंपत्तियों का प्रतिस्थापन, सिंकिंग फंड | |
| – अमूर्त संपत्तियों का परिशोधन | |
| पूंजी और राजस्व व्यय | – अंतर |
| – प्राप्तियाँ | |
| विनिमय बिल | – प्रकार |
| – अवधि और देय तिथि | |
| – महत्वपूर्ण शर्तें | |
| – लेखांकन प्रविष्टियाँ | |
| – आवास बिल (Accommodation Bill) | |
| – बिल पुस्तकें | |
| बैंकों में परिचालन पहलू | – बैंक लेखांकन की अजीबोगरीब विशेषताएँ |
| – बैंकों में प्रणालियाँ | |
| – उदाहरण | |
| बैक ऑफिस कार्य | – असमाधानित प्रविष्टियों को संभालना |
| – अंतर-शाखा/कार्यालय समाधान | |
| बैंक ऑडिट और निरीक्षण | – जोखिम-आधारित आंतरिक ऑडिट |
| – समवर्ती, आंतरिक और वैधानिक ऑडिट | |
| – ऑडिट और निरीक्षण की भूमिका |
मॉड्यूल B – वित्तीय विवरण और कोर बैंकिंग प्रणाली (Financial Statements & Core Banking Systems)
मॉड्यूल B के विस्तृत विषय इस प्रकार हैं:
| मुख्य विषय | उप-विषय |
| बैलेंस शीट समीकरण | – अवधारणा और गणना |
| अंतिम खातों की तैयारी | – तलपट |
| – समायोजन प्रविष्टियाँ | |
| – वित्तीय विवरणों की तैयारी | |
| कंपनी खाते – I | – परिभाषा, कंपनियों के प्रकार |
| – साझेदारी बनाम LLP | |
| – शेयर पूंजी के वर्ग | |
| – शेयरों का निर्गमन | |
| – गैर-मतदान शेयर | |
| कंपनी खाते – II | – बैलेंस शीट का फॉर्म |
| – Ind AS का प्रभाव | |
| नकद प्रवाह और निधि प्रवाह | – अवधारणाएँ |
| – विवरण | |
| – विश्लेषण | |
| बैंकों के अंतिम खाते | – परिभाषा, कार्य |
| – RBI और Basel III आवश्यकताएँ | |
| – मुख्य पुस्तकें | |
| – लाभ और हानि (P&L) और बैलेंस शीट की तैयारी | |
| – खातों के नोट्स | |
| – Ind AS का कार्यान्वयन | |
| कोर बैंकिंग और कंप्यूटरीकृत वातावरण | – कंप्यूटरीकृत बनाम मैनुअल लेखांकन |
| – विशेषताएँ, फायदे/नुकसान | |
| – बैंकिंग सॉफ्टवेयर | |
| – कोर बैंकिंग घटक | |
| – सूचना सुरक्षा | |
| – इंटरनेट और वेब का प्रभाव |
मॉड्यूल C – वित्तीय प्रबंधन (Financial Management)
मॉड्यूल C के विस्तृत विषय इस प्रकार हैं:
| मुख्य विषय | उप-विषय |
| वित्तीय प्रबंधन का अवलोकन | – उद्देश्य |
| – मूलभूत सिद्धांत | |
| – जोखिम-प्रतिफल संतुलन (Risk-Return Trade-off) | |
| – एजेंसी समस्या | |
| – नैतिकता और CSR | |
| – वित्त कार्य संगठन | |
| – अर्थशास्त्र और लेखांकन से लिंक | |
| अनुपात विश्लेषण | – प्रकार, उपयोग, सीमाएँ |
| – विभिन्न उपयोगकर्ताओं के लिए गणना और व्याख्या | |
| वित्तीय गणित – ब्याज और वार्षिकी | – साधारण और चक्रवृद्धि ब्याज |
| – निश्चित/अस्थिर दरें | |
| – उत्पाद/शेष विधि | |
| – वार्षिकी का FV और PV (साधारण और देय) | |
| – ऋण चुकौती | |
| वित्तीय गणित – परिपक्वता पर प्रतिफल (YTM) | – बॉन्ड (प्रकार, मूल्यांकन, विकल्प) |
| – वर्तमान प्रतिफल | |
| – YTM | |
| – अवधि (Duration) | |
| – बॉन्ड मूल्य अस्थिरता | |
| वित्तीय गणित – विदेशी मुद्रा अंकगणित | – भारतीय विदेशी मुद्रा बाजार |
| – प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कोटेशन | |
| – विनिमय दर अंकगणित | |
| – फॉरवर्ड दरें | |
| पूंजी संरचना और पूंजी की लागत | – दृष्टिकोण (NI, NOI, पारंपरिक) |
| – WACC | |
| – कारक | |
| – परियोजना और डिवीजनल लागत | |
| – फ्लोटेशन लागत | |
| – भ्रांतियाँ | |
| पूंजी निवेश निर्णय / सावधि ऋण | – DCF और गैर-DCF तरीके |
| – सावधि ऋण | |
| – परियोजना वित्तपोषण | |
| – मूल्यांकन | |
| उपकरण लीजिंग / लीज वित्तपोषण | – विशेषताएँ |
| – प्रकार | |
| – कानूनी पहलू | |
| – पट्टेदार और पट्टे पर देने वाले के लिए लेखांकन | |
| कार्यशील पूंजी प्रबंधन | – चक्र, नकद और प्रतिभूतियाँ, उपार्जन |
| – व्यापार ऋण, बैंक अग्रिम | |
| – नकद बजट | |
| – विनियम, जमा, CP, फैक्टरिंग, फोरफिटिंग | |
| डेरिवेटिव | – विशेषताएँ, कार्य, उपयोगकर्ता |
| – वायदा (Futures), FRA, स्वैप, विकल्प (Options) |
मॉड्यूल D – कराधान और लागत निर्धारण के मूल सिद्धांत (Taxation & Fundamentals of Costing)
मॉड्यूल D के विस्तृत विषय इस प्रकार हैं:
| मुख्य विषय | उप-विषय |
| कराधान | – आयकर का अवलोकन |
| – कटौती (80QQB, 80RRB, 80TTA, 80U) | |
| – TDS/TCS | |
| – रिटर्न | |
| – रिफंड | |
| – वसूली | |
| वस्तु एवं सेवा कर (GST) | – प्रत्यक्ष बनाम अप्रत्यक्ष कर |
| – GST की मूल बातें | |
| लागत और प्रबंधन लेखांकन का अवलोकन | – लागत अवधारणाएँ |
| – तत्व | |
| – लागत केंद्र और इकाई | |
| – तरीके और तकनीकें | |
| – मानक | |
| – वित्तीय और प्रबंधन लेखांकन के साथ संबंध | |
| लागत निर्धारण के तरीके | – इकाई/उत्पादन, नौकरी, बैच, अनुबंध, प्रक्रिया, सेवा लागत निर्धारण |
| मानक लागत निर्धारण | – मानकों के प्रकार |
| – स्थापना | |
| – विचरण विश्लेषण (सामग्री, श्रम, ओवरहेड्स) | |
| – बेंचमार्किंग | |
| – विचरण रिपोर्टिंग | |
| सीमांत लागत निर्धारण | – BEP, CVP विश्लेषण |
| – P/V अनुपात | |
| – सुरक्षा का मार्जिन (Margin of Safety) | |
| – अवशोषण बनाम सीमांत लागत निर्धारण | |
| बजट और बजटीय नियंत्रण | – बजट के प्रकार (निश्चित, लचीला, शून्य-आधारित, प्रदर्शन) |
| – तैयारी | |
| – निगरानी | |
| – नियंत्रण प्रणाली |
यह भी देखें: JAIIB पासिंग क्राइटेरिया 2025
JAIIB RBWM पाठ्यक्रम
JAIIB का RBWM पाठ्यक्रम चार खंडों में विभाजित है: खुदरा बैंकिंग, खुदरा उत्पाद और वसूली, सहायक सेवाएँ और बैंकिंग सेवाओं/उत्पादों का विपणन, और धन प्रबंधन।
मॉड्यूल A – खुदरा बैंकिंग (Retail Banking)
मॉड्यूल A के विस्तृत विषय इस प्रकार हैं:
| मुख्य विषय | उप-विषय / कवरेज |
| खुदरा बैंकिंग: परिचय | – विशेषताएँ |
| – फायदे | |
| – बाधाएँ | |
| – विकास | |
| – सफलता के लिए पूर्वापेक्षाएँ | |
| – चुनौतियाँ | |
| – खुदरा बैंकिंग का भविष्य | |
| खुदरा बैंकिंग: बैंक परिचालन में भूमिका | – व्यावसायिक मॉडल |
| – खुदरा बैंकिंग अवधारणाओं की प्रयोज्यता | |
| – खुदरा और कॉर्पोरेट/थोक बैंकिंग के बीच अंतर | |
| शाखा लाभप्रदता | – भारत में बैंकिंग प्रणाली |
| – लाभप्रदता और लाभ क्या है | |
| – सकल लाभ, परिचालन लाभ, शुद्ध लाभ | |
| – बैंकिंग संदर्भ में लाभप्रदता | |
| – पारंपरिक उपाय | |
| – ROA (परिसंपत्ति पर रिटर्न), ROE (इक्विटी पर रिटर्न) | |
| – शाखा परिचालन दक्षता | |
| – दक्षता सुधारने की रणनीतियाँ | |
| – भारत में बैंकों की लाभप्रदता को प्रभावित करने वाले कारक | |
| – बैंक शाखाओं का लाभप्रदता विश्लेषण | |
| – शाखा लाभप्रदता सुधारने के कदम | |
| – निरंतर सुधार के लिए कारक |
मॉड्यूल B – खुदरा उत्पाद और वसूली (Retail Products and Recovery)
मॉड्यूल B के विस्तृत विषय इस प्रकार हैं:
| मुख्य विषय | उप-विषय / कवरेज |
| ग्राहक आवश्यकताएँ | – मास्लो का सिद्धांत |
| – सेवा गुणवत्ता अपेक्षाएँ | |
| उत्पाद विकास प्रक्रिया | – उत्पाद विकास चक्र |
| – उत्पाद जीवन चक्र | |
| – उत्पाद लाइनें | |
| – जमा (देयता) उत्पाद | |
| – ऋण (परिसंपत्ति) उत्पाद | |
| – अन्य उत्पाद और सेवाएँ | |
| – शुल्क-आधारित सेवाएँ (थर्ड-पार्टी वितरण) | |
| – नया उत्पाद विकास (चरण, बाधाएँ) | |
| – उत्पाद प्रबंधन | |
| – उत्पाद नीति | |
| क्रेडिट स्कोरिंग | – परिभाषा |
| – विकास | |
| – अच्छा क्रेडिट स्कोर | |
| – स्कोरिंग मॉडल | |
| – क्रेडिट स्कोर का प्रबंधन | |
| – सकारात्मक/चेतावनी संकेत | |
| – भारत में क्रेडिट सूचना कंपनियाँ | |
| – मुद्दे | |
| – गलतियाँ | |
| – समस्या निवारण | |
| महत्वपूर्ण खुदरा देयता उत्पाद | – मांग जमा (चालू खाते: विशेषताएँ, लाभ, दस्तावेज़, खोलना, परिचालन, हस्तांतरण, निष्क्रिय/बंद करना) |
| – बचत खाते (लाभ, पात्रता, ब्याज का विनियमन, शेष और ब्याज नियम, लेन-देन प्रतिबंध, सेवाएँ) | |
| – सावधि जमा (अवधि, परिचालन, ब्याज, नाबालिग/संयुक्त खाते, समय से पहले निकासी, FD के विरुद्ध अग्रिम, नवीनीकरण, अतिदेय FD – RBI नियम, फॉर्म 15G/15H, TDS) | |
| – आवर्ती जमा (RD) | |
| – 2-इन-1 खाता | |
| महत्वपूर्ण खुदरा परिसंपत्ति उत्पाद | – गृह ऋण, PMAY के तहत आवास ऋण |
| – गृह सुधार ऋण, गृह सज्जा ऋण | |
| – ऑटो/वाहन ऋण | |
| – व्यक्तिगत ऋण | |
| – शैक्षिक ऋण | |
| – अन्य खुदरा ऋण | |
| – ऋण प्रसंस्करण | |
| क्रेडिट और डेबिट कार्ड | – क्रेडिट कार्ड |
| – चार्ज कार्ड | |
| – प्रीपेड कार्ड | |
| – डेबिट कार्ड | |
| – को-ब्रांडेड कार्ड | |
| – संपर्क रहित कार्ड | |
| प्रेषण उत्पाद (Remittance Products) | – NEFT, RTGS, ECS, NACH |
| – आधार-सक्षम भुगतान प्रणाली (AePS) | |
| – भारत बिल भुगतान प्रणाली (BBPS) | |
| – भारत की भुगतान प्रणाली का बेंचमार्किंग | |
| खुदरा बैंकिंग उत्पादों का डिजिटलीकरण | – खुदरा बैंकिंग में प्रौद्योगिकी |
| – प्रक्रियाएँ | |
| – उपयोगकर्ता के अनुकूल सुविधाएँ | |
| – ग्राहक विश्लेषण | |
| – IDRBT, INFINET, SFMS, नेशनल फाइनेंशियल स्विच (NFS), IBCC | |
| – धन प्रबंधन समाधान | |
| – डिजिटल ऋण | |
| खुदरा बैंकिंग में AI और प्रौद्योगिकी की भूमिका | – प्रौद्योगिकी के आयाम |
| – बैंकिंग के साथ संबंध | |
| – भारत में विकास | |
| – अपनाने की चुनौतियाँ | |
| – लाभ | |
| – AI बनाम ऑटोमेशन | |
| – भारत में AI का विकास और उद्योग | |
| – बैंकिंग में AI क्यों | |
| – भारतीय खुदरा बैंकिंग में AI | |
| – भारत के AI विकास के सामने चुनौतियाँ | |
| खुदरा ऋणों की वसूली | – चुकौती |
| – चूक और पुनर्निर्धारण (Rescheduling) | |
| – ऋण खातों की निगरानी | |
| – अनियमित ऋणों का वर्गीकरण | |
| – वसूली नीति | |
| – SARFAESI अधिनियम 2002 | |
| – ऋण वसूली ट्रिब्यूनल (DRT) | |
| – लोक अदालत | |
| – प्रत्यक्ष वसूली एजेंट | |
| प्रबंधन सूचना प्रणाली (MIS) | – MIS के तत्व |
| – निर्णय लेने में भूमिका | |
| – बैंकिंग में भूमिका | |
| – बैंकों के लिए MIS डिजाइन करना | |
| – मुद्दे और सुझाए गए समाधान | |
| प्रतिभूतिकरण (Securitisation) | – परिसंपत्तियों का प्रतिभूतिकरण |
मॉड्यूल C – सहायक सेवाएँ (बैंकिंग सेवाओं/उत्पादों का विपणन) (Support Services – Marketing of Banking Services/Products)
मॉड्यूल C के विस्तृत विषय इस प्रकार हैं:
| मुख्य विषय | उप-विषय / कवरेज |
| विपणन – एक परिचय | – खुदरा बैंकिंग में विपणन |
| – खुदरा बैंकिंग में विपणन मिश्रण | |
| खुदरा बैंकिंग में वितरण चैनल | – भौतिक/प्रत्यक्ष शाखा |
| – ATM | |
| – POS टर्मिनल | |
| – मोबाइल बैंकिंग | |
| – इंटरनेट बैंकिंग | |
| – अनधिकृत इलेक्ट्रॉनिक लेनदेन में ग्राहक का दायित्व | |
| वितरण मॉडल | – शाखा कर्मचारी (आंतरिक ग्राहक) |
| – समर्पित विपणन प्रबंधक | |
| – DSA (प्रत्यक्ष बिक्री एजेंट) | |
| – संस्थानों/OEMs/डीलरों के साथ गठजोड़ | |
| ग्राहक संबंध प्रबंधन (CRM) | – CRM क्यों |
| – कार्यान्वयन पहलू | |
| – प्रक्रिया और चरण | |
| – लाभ | |
| – ग्राहक संतुष्टि पर प्रभाव | |
| खुदरा बैंकिंग के लिए सेवा मानक | – BCSBI: सदस्य, उद्देश्य, बैंकों की प्रतिबद्धता की संहिता |
| – MSEs के लिए संहिता | |
| – कार्य | |
| – संहिता अनुपालन रेटिंग | |
| – शिकायत निवारण | |
| – सामान्य जानकारी | |
| विपणन सूचना प्रणाली (MKIS) | – कार्य |
| – घटक | |
| – MKIS मॉडल | |
| – अवलोकन | |
| – कंप्यूटर का उपयोग | |
| – विपणन प्रबंधन और मिश्रण के लिए समर्थन | |
| – निर्णय मॉडल | |
| – प्रदर्शन | |
| – सिफारिशें | |
| – लाभ |
मॉड्यूल D – धन प्रबंधन (Wealth Management)
मॉड्यूल D के विस्तृत विषय इस प्रकार हैं:
| मुख्य विषय | उप-विषय |
| धन प्रबंधन का महत्व | – व्यापक दृष्टिकोण |
| – व्यावसायिक संरचनाएँ | |
| – धन प्रबंधन प्रक्रिया | |
| – उत्पाद और सेवाएँ (वैकल्पिक संपत्ति, बॉन्ड, बीमा, म्यूचुअल फंड, रियल एस्टेट, सेवानिवृत्ति योजना, वसीयत लेखन, निजी धन, व्यक्तिगत वित्तीय नियोजन, मूल्यांकन, निजी बैंकिंग) | |
| – लाभ और महत्व | |
| निवेश प्रबंधन | – तत्व, मूल बातें, कदम |
| – निवेश बैंकिंग (सेवाएँ, संरचना, निवेश प्रबंधन से अंतर) | |
| – पोर्टफोलियो प्रबंधन (उद्देश्य, तत्व, MFs से सेवाएँ, प्रकार, कदम, फायदे/नुकसान, भारत में हाल के घटनाक्रम) | |
| कर नियोजन (Tax Planning) | – कर संरचना (FY, AY, पिछला वर्ष, आवासीय स्थिति, शर्तें, आय के प्रमुख) |
| – कर स्लैब (व्यक्ति, संस्थाएँ, नया बनाम पुराना शासन) | |
| – कर बचत के लिए निवेश उत्पाद | |
| – एस्टेट प्लानिंग (वसीयत/ट्रस्ट) | |
| – पूंजीगत लाभ कर (Capital Gains Tax) | |
| बैंकों द्वारा अन्य वित्तीय सेवाएँ | – थर्ड-पार्टी उत्पादों का वितरण |
| – म्यूचुअल फंड व्यवसाय | |
| – बीमा | |
| – सामाजिक सुरक्षा योजनाएँ | |
| – क्रॉस सेलिंग | |
| – डिपॉजिटरी सेवाएँ | |
| – PMS | |
| – फैक्टरिंग | |
| – अन्य एजेंसी व्यवसाय | |
| अतिरिक्त पठन – गृह ऋण | – ऋणदाता की मूल्यांकन प्रक्रिया (आवेदन, दस्तावेज़, पूर्व-मंजूरी जाँच, मूल्यांकन, दस्तावेज़ीकरण, बंधक, शीर्षक विलेख सत्यापन, सुरक्षा, CERSAI, निगरानी, समापन, ऋण धोखाधड़ी) |
| आवास वित्त और कर नियोजन | – आवास वित्त के कर लाभ |
| बंधक सलाह (Mortgage Advice) | – गृह सूचना पैक |
| – समय का मुद्रा मूल्य (ब्याज, वार्षिकी) | |
| – पूंजीगत लाभ | |
| – ऋण कैलकुलेटर और परिशोधन अनुसूची (Amortisation Schedule) | |
| अचल संपत्ति का मूल्यांकन | – मूल्यांकनकर्ता |
| – भूमि और भवन | |
| – संरचनाओं का जीवन | |
| – सिंकिंग फंड | |
| – रिवर्स मॉर्टगेज |
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
1. JAIIB परीक्षा में कुल कितने पेपर होते हैं?
JAIIB परीक्षा में कुल 4 अनिवार्य पेपर होते हैं IE & IFS, PPB, AFM और RBWM।
2. क्या JAIIB सिलेबस हर वर्ष बदलता है?
आम तौर पर सिलेबस स्थिर रहता है, पर IIBF आवश्यकतानुसार अपडेट कर सकता है।
3. क्या JAIIB परीक्षा केवल बैंक कर्मचारियों के लिए है?
हाँ, JAIIB केवल उन उम्मीदवारों के लिए है जो किसी बैंक या वित्तीय संस्था में कार्यरत हैं।
4. क्या JAIIB परीक्षा ऑनलाइन होती है?
हाँ, JAIIB परीक्षा कंप्यूटर-आधारित (CBT) ऑनलाइन मोड में होती है।
5. JAIIB पास करने के लिए कितने अंक चाहिए?
प्रत्येक पेपर में न्यूनतम 50 अंक या कुल मिलाकर 50% aggregate में 45 अंक जरूरी हैं।
- जाइब पास करने के बाद सैलरी इंक्रीमेंट कितना होता है?
- JAIIB पंजीकरण 2026, IIBF JAIIB आवेदन प्रक्रिया और पंजीकरण तिथियाँ
- JAIIB पाठ्यक्रम 2026, IE & IFS, AFM, PPB, RBWM, विवरण देखें
- JAIIB परीक्षा तिथियाँ 2026, IIBF JAIIB मई और नवम्बर सत्र परीक्षा तालिका
- JAIIB परीक्षा पैटर्न 2026, IE & IFS, AFM, RBWM, PPB परीक्षा पैटर्न
- JAIIB पात्रता मानदंड 2026, JAIIB आयु सीमा और योग्यता देखें

नमस्ते, मैं अदिति हूँ। मैं Oliveboard में Content Writer के रूप में कार्यरत हूँ। पिछले 4 वर्षों से मैं परीक्षा से जुड़ी जानकारी को सरल और स्पष्ट भाषा में प्रस्तुत कर रही हूँ। मेरा उद्देश्य विभिन्न परीक्षाओं के लिए छात्रों को आसान और प्रभावी मार्गदर्शन प्रदान करना है। मैं नोटिफिकेशन, एडमिट कार्ड और परीक्षा से संबंधित अपडेट को सरल शब्दों में समझाती हूँ, साथ ही स्टडी प्लान और विषयवार रणनीतियाँ तैयार करती हूँ। मेरा लक्ष्य है कि कामकाजी पेशेवर अपने नौकरी और परीक्षा तैयारी के बीच संतुलन बना सकें और अपने करियर में आगे बढ़ सकें ।






