Koyal Ka Paryayvachi Shabd | कोयल का पर्यायवाची शब्द
“कोयल” एक प्रसिद्ध और मधुर स्वर वाली पक्षी है, जिसे भारत में बहुत आमतौर पर देखा जा सकता है। यह अपनी मीठी आवाज़ और सुंदर काले रंग के लिए जानी जाती है। हिंदी साहित्य, कविताएँ और लोकगीतों में कोयल को प्रेम, वसंत और संगीत का प्रतीक माना जाता है। “साँईं” या “साँईंया” इसके शास्त्रीय और लोकप्रिय पर्यायवाची शब्द हैं। इस ब्लॉग में हम कोयल के प्रमुख पर्यायवाची शब्द, उनके अर्थ, समूह और साहित्यिक तथा दैनिक जीवन में उपयोग को विस्तार से जानेंगे।
कोयल का अर्थ (Meaning of Koyal)
कोयल एक ऐसा पक्षी है जिसकी आवाज़ बेहद मधुर होती है। यह वसंत ऋतु में अपने गीतों से वातावरण को सुंदर और आनंदमय बनाता है। साहित्य और लोककथाओं में कोयल प्रेम, सौंदर्य और प्रकृति के सौंदर्य का प्रतीक माना जाता है।
कोयल के पर्यायवाची शब्द
नीचे कोयल के प्रमुख पर्यायवाची शब्दों की सूची दी गई है। इनमें शास्त्रीय, साहित्यिक और बोलचाल के शब्द शामिल हैं।
| पर्यायवाची शब्द | English Transliteration | अर्थ / व्याख्या |
| साँईं | Saiyan | कोयल का लोकप्रिय नाम |
| साँईंया | Saiyaa | कोयल के लिए प्रेमपूर्वक प्रयुक्त नाम |
| कोयला | Koyla | काले रंग वाली कोयल के लिए प्रयुक्त शब्द |
| मयूर | Mayur | रंग-बिरंगे और सुंदर पक्षी के संदर्भ में प्रयुक्त |
| हंस | Hans | शास्त्रीय ग्रंथों में उल्लिखित कोयल के लिए प्रतीकात्मक नाम |
| काकली | Kakli | कविता और साहित्य में कोयल के लिए प्रयुक्त शब्द |
| रूक्मिणी | Rukmini | शास्त्रीय संदर्भ में मधुर स्वर वाली कोयल |
| शुकुल | Shukul | काले रंग वाली कोयल का शास्त्रीय नाम |
| निशिक | Nishik | कोयल की आवाज़ और स्वर के संदर्भ में प्रयुक्त |
| कूजनिका | Kujanika | कूकने वाली या मधुर स्वर वाली कोयल के लिए विशेष नाम |
कोयल के पर्यायवाची शब्दों का समूह और अर्थ
कोयल के पर्यायवाची शब्द केवल शब्दकोश तक सीमित नहीं हैं। ये साहित्य, कविता, लोकगीत और दैनिक बोलचाल में व्यापक रूप से उपयोग किए जाते हैं। विभिन्न संदर्भों और गुणों के अनुसार कोयल के लिए अलग-अलग शब्द प्रचलित हैं, जो इसकी मधुरता, स्वर और सौंदर्य को दर्शाते हैं।
1. शास्त्रीय/पुरातन समूह
हंस, मयूर, रूक्मिणी, कूजनिका, निशिक
ये शब्द मुख्यतः शास्त्रीय ग्रंथों और कविता में पाए जाते हैं। प्रेम, सुंदरता और मधुरता के प्रतीक के रूप में प्रयोग होते हैं।
उदाहरण:
“हंस के गीत ने बगीचे में मधुरता भर दी।”
“रूक्मिणी की कूक सुनकर सभी मंत्रमुग्ध हो गए।”
2. लोकप्रिय और बोलचाल समूह
साँईं, साँईंया, कोयला, काकली
ये शब्द आम बोलचाल और लोकगीतों में व्यापक रूप से उपयोग किए जाते हैं।
उदाहरण:
“साँईं ने अपने मधुर स्वर से वसंत का आगमन बताया।”
“कोयला का कूक सुनकर बच्चे आनंदित हो गए।”
3. विशेष और प्रतीकात्मक समूह
निशिक, कूजनिका, शुकुल
ये शब्द विशेष संदर्भों और प्रतीकात्मक अर्थ में प्रयुक्त होते हैं।
उदाहरण:
“निशिक की आवाज़ ने वनवासियों को सजग किया।”
“कूजनिका के मधुर गीत ने वातावरण को सुहावना बना दिया।”
कोयल के पर्यायवाची शब्दों का प्रयोग
कोयल के पर्यायवाची शब्द केवल शब्दकोश में सीमित नहीं हैं। साहित्य, कविता, लोकगीत और दैनिक जीवन में इनका प्रयोग व्यापक है।
साहित्य और कविता में:
“साँईं की मधुर कूक ने कवि को प्रेरित किया।”
“काकली के गीत ने वसंत ऋतु का स्वागत किया।”
पौराणिक और धार्मिक संदर्भ में:
“हंस का गीत भगवान की भक्ति में उल्लास भरता है।”
“मयूर और रूक्मिणी के स्वर ने ऋषियों को मंत्रमुग्ध किया।”
दैनिक जीवन में:
“साँईंया के मधुर गीत से बगीचा जीवंत हो गया।”
“कोयला की आवाज़ ने बच्चों को खेल के लिए आकर्षित किया।”
कोयल और स्वर के अन्य संदर्भ
कोयल केवल एक पक्षी नहीं है, बल्कि यह मधुरता, सौंदर्य और प्रकृति का प्रतीक भी है। इसके पर्यायवाची शब्द भाषा की समृद्धि और विविधता को दर्शाते हैं।
- साँईं / साँईंया – लोकप्रिय नाम।
- हंस / मयूर – शास्त्रीय और प्रतीकात्मक नाम।
- काकली / रूक्मिणी – साहित्य और कविता में प्रयोग।
- निशिक / कूजनिका – विशेष और मधुर स्वर के लिए।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
प्रश्न 1: “कोयल” का सामान्य अर्थ क्या है?
उत्तर: मधुर स्वर वाली पक्षी, जिसे आमतौर पर वसंत ऋतु में देखा जाता है।
प्रश्न 2: कोयल के प्रमुख पर्यायवाची शब्द कौन से हैं?
उत्तर: साँईं, साँईंया, कोयला, मयूर, हंस, काकली, रूक्मिणी, निशिक, कूजनिका, शुकुल आदि।
प्रश्न 3: “साँईं” और “कोयला” में अंतर क्या है?
उत्तर: साँईं लोकप्रिय नाम है, जबकि कोयला काले रंग वाली कोयल के लिए प्रयुक्त शब्द है।
प्रश्न 4: कोयल के पर्यायवाची शब्द साहित्य में कैसे प्रयुक्त होते हैं?
उत्तर: मधुरता, सौंदर्य, वसंत और प्रेम का प्रतीक बताने के लिए।
प्रश्न 5: काकली और निशिक में क्या अंतर है?
उत्तर: काकली सामान्य मधुर स्वर वाली कोयल को दर्शाता है, जबकि निशिक विशेष रूप से स्वर की मधुरता और शास्त्रीय संदर्भ में प्रयुक्त होता है।
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