उत्तराखण्ड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग, (UKSSSC) नें समूह ‘ग’ में समाज कल्याण विभाग के अंतर्गत सहायक समाज कल्याण अधिकारी / छात्रावास अधीक्षक, उत्तराखण्ड राज्य निर्वाचन आयोग के अंतर्गत सहायक समीक्षा अधिकारी, उत्तराखण्ड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग में सहायक समीक्षा अधिकारी, उत्तराखण्ड राजस्व परिषद देहरादून के अंतर्गत सहायक चकबंदी अधिकारी, सूचना एवं लोक संपर्क विभाग के अंतर्गत संवीक्षक तथा सरंक्षक-कम-डाटा एंट्री ऑपरेटर, पंचायतीराज विभाग के अंतर्गत ग्राम पंचायत विकास अधिकारी, महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग के अंतर्गत सुपरवाईजर, जनजाति कल्याण विभाग के अंतर्गत मैट्रन केयर सह हॉस्टल इंचार्ज, उत्तराखण्ड पर्यटन विकास परिषद के अंतर्गत सहायक स्वागती, उद्योग विभाग के अंतर्गत सहायक प्रबंधन उद्योग तथा ग्राम्य विकास विभाग, उत्तराखण्ड के अंतर्गत ग्राम विकास अधिकारी के रिक्त पदों पर चयन हेतु विज्ञापन की घोषणा की है|
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सभी पदों के लिए वस्तुनिष्ठ प्रकार की लिखित परीक्षा के लिए पाठ्यक्रम का अंकवार विवरण निम्नवत है:
क्रम सं. | विषय व अंक | कुल अंक |
1 | सामान्य हिंदी – 20 अंक | 100 |
2 | सामान्य ज्ञान व सामान्य अध्ययन – 40 अंक 2.1 – सामान्य बुद्धि परिक्षण और मानसिक योग्यता | 2.2 – इतिहास 2.3 – भूगोल 2.4 – राजनितिक विज्ञान 2.5 – अर्थशास्त्र 2.6 – राज्य, राष्ट्रीय और अन्तराष्ट्रीय महत्व की समसामयिक घटनायें | | |
3 | उत्तराखण्ड से सम्बंधित विविध जानकारियां – 40 अंक |
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इस ब्लॉग (Blog) में हम सामान्य हिंदी विषय के अंतर्गत पूछे जाने वाले तत्सम तद्भव के बारे में सीखेंगे|
समय के साथ भाषा में परिवर्तन होता रहता है, प्राचीन शब्दों में या तो परिवर्तन करके उन्हें अब नए रूप में परिवर्तित कर लिया गया है या फिर प्राचीन शब्द अब प्रचलन में नहीं हैं| भाषा परिवर्तित अवश्य होती है परन्तु यह भाषा में यह परिवर्तन बहुत ही नगण्य होता है जिससे प्राचीन शब्दों में कुछ हद तक ही बदलाव होता है परन्तु उनका अर्थ वही रहता है|
हिंदी भाषा में निम्नलिखित प्रकार के शब्दों का प्रयोग होता है:
- तत्सम शब्द
- तद्भव शब्द
- देशज शब्द
- विदेशी शब्द
तत्सम शब्द: ‘तत्सम’ (तत् + सम) शब्द का अर्थ है – ‘उसके समान’ अर्थात् संस्कृत के समान| संस्कृत भाषा के जिन शब्दों को हम बिना परिवर्तन किये ज्यों का त्यों प्रयोग करते हैं उन्हें तत्सम शब्द कहते हैं; जैसे- अग्नि, आश्चर्य, कटु, कपाट, कुपुत्र, गर्दभ आदि|
तद्भव शब्द: ‘तद्भव’ (तत् + सम) शब्द का अर्थ है – ‘उससे होना’ अर्थात संस्कृत शब्दों से परिवर्तित होकर बने शब्द| संस्कृत भाषा के जो शब्द प्राकृत, पाली, पुरानी हिंदी और अपभ्रंश भाषाओँ के पड़ाव से गुजरने के कारण आज परिवर्तित रूप में मिलते हैं उन्हें तद्भव शब्द कहते हैं; जैसे- आग, अचरज, कड़वा, किवाड़, कपूत, गधा आदि|
देशज शब्द: हिंदी भाषा के वे शब्द जो आम प्रचलन में तो हैं लेकिन उनकी उत्पत्ति के मूल का पता ना हो उन्हें देशज शब्द कहते हैं; जैसे- लोटा, झिलमिल, जूता, खर्राटा, डिबिया, धक्का आदि|
विदेशी/ विदेशज शब्द: विदेशी भाषाओं से आये वो शब्द जो हिंदी भाषा में प्रचलित हैं और प्रयोग में हैं उन्हें विदेशी शब्द कहते हैं| विदेशी भाषाओं में मुख्यतः अरबी, फारसी, तुर्की, अंग्रेजी, फ्रांसीसी व पुर्तगाली शामिल है; जैसे-
1. अदा और आखिर अरबी शब्द हैं|
2. अफ़सोस और आईना फारसी शब्द हैं|
3. अपील और फाइल अंग्रेजी शब्द हैं|
4. कालीन और बहादुर तुर्की शब्द हैं|
5. लैंप, मेयर और मार्शल फ्रांसीसी शब्द हैं|
6. चाभी और तम्बाकू पुर्तगाली शब्द हैं|
नीचे कुछ महत्वपूर्ण तत्सम और उनके तद्भव शब्द दिए गए हैं-
तत्सम | तद्भव | तत्सम | तद्भव | तत्सम | तद्भव | तत्सम | तद्भव |
आम्र | आम | ऊपालम्भ | उलाहना | कार्तिक | कातिक | चैत्र | चैत |
आश्चर्य | अचरज | उलूखल | ओखली | कुक्कुर | कुत्ता | चंद्रिका | चाँदनी |
अमूल्य | अमोल | उपर्युक्त | उपरोक्त | कंदुक | गेंद | छिद्र | छेद |
अग्नि | आग | एकादश | ग्यारह | कच्छप | कछुआ | छाँह | छाया |
अंधकार | अँधेरा | एकत्र | इकठ्ठा | कंटक | काँटा | जिह्वा | जीभ |
अकस्मात् | अचानक | ऋक्ष | रीछ | कुमारी | कुँवारी | ज्येष्ठ | जेठ |
आलस्य | आलस | कुपुत्र | कपूत | कोटि | करोड़ | जन्म | जनम |
अश्रु | आँसू | कर्म | काम | कर्पट | कपड़ा | तैल | तेल |
अमृत | अमिय | काक | कौआ | गृह | घर | ताम्र | ताँबा |
अंगुष्ठ | अंगूठा | कपोत | कबूतर | ग्रीष्म | गर्मी | तड़ाग | तालाब |
अट्टालिका | अटारी | कपाट | किवाड़ | ग्राहक | गाहक | तीक्ष्ण | तीखा |
अमावस्या | अमावस | कीट | कीड़ा | ग्रामीण | गँवार | दीपावली | दीवाली |
अस्थि | हड्डी | कूप | कुआँ | गृहणी | घरनी | दुग्ध | दूध |
आद्रक | अदरक | कोकिल | कोयल | घृणा | घिन | दंत | दांत |
ईर्ष्या | ईर्षा | कर्ण | कान | घृत | घी | दधि | दही |
इष्टिका | ईंट | कृषक | किसान | चन्द्र | चाँद | द्वादश | बारह |
उलूक | उल्लू | कुम्भकर | कुम्हार | चर्म | चमड़ा | दुर्बल | दुबला |
उच्च | ऊँचा | कटु | कड़वा | छत्र | छाता | दुःख | दुख |
उज्जवल | उजला | कर्पूर | कपूर | चतुर्थ | चौथा | धैर्य | धीरज |
उत्साह | उछाह | कार्य | काम | चर्मकार | चमार | धूम्र | धुआँ |
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